Gurunanak Jayanti 2024: गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपर्व या प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसके पीछे कुछ विशेष कारण और ऐतिहासिक महत्व हैं !
Gurunanak Jayanti 2024 सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस का उत्सव है। इसे गुरु पर्व या गुरुपुरब भी कहा जाता है। यह प्रमुख सिख त्योहार हर साल कार्तिक पूर्णिमा (हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा) को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है।
इस गुरु जी ने अपने जीवन काल में अनेक उपदेश दिए, जिनमें समानता, भाईचारे, एक ईश्वर में विश्वास और सभी धर्मों के प्रति सम्मान की शिक्षा शामिल है। गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय विशेष रूप से गुरुद्वारों में इकट्ठा होता है। इस मौके पर धार्मिक आयोजन, कीर्तन, प्रभात फेरी और लंगर (सामूहिक भोजन) का आयोजन किया जाता है। यह दिन सिख धर्मावलंबियों और अन्य श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिकता का प्रतीक होता है।
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गुरु नानक का जन्मदिन:
गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व के नाम से भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, खासकर सिख समुदाय के लिए। गुरु नानक का जन्म 1469 में रावी नदी के पास स्थित तलवंडी गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा होती है और आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ती है।
Gurunanak Jayanti के अवसर पर सिख समुदाय विशेष प्रार्थनाएं, भजन-कीर्तन, और लंगर (सामूहिक भोज) का आयोजन करता है। गुरुद्वारों में धार्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है और प्रभात फेरियां (सुबह की शोभायात्राएं) निकाली जाती हैं। यह दिन गुरु नानक जी के उपदेशों, जैसे समानता, भाईचारे, और सत्य की महानता की याद दिलाता है।
धार्मिक महत्व:
Gurunanak Jayanti 2024: कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है और इसे दीपों के पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन से जुड़े धार्मिक महत्व और परंपराएं निम्नलिखित हैं:
- भगवान विष्णु की पूजा: कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह महीना स्वयं भगवान विष्णु का प्रिय महीना माना जाता है।
- गंगा स्नान और पुण्य: इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना आदि में स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- देव दीपावली: कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन देवता लोग भी दीप जलाकर पृथ्वी पर उत्सव मनाते हैं। विशेष रूप से वाराणसी में इस दिन गंगा किनारे दीप जलाकर भव्य आरती की जाती है।
- सिख धर्म में महत्व: सिख धर्म में भी कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसे ‘गुरु पर्व’ के रूप में मनाया जाता है और गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर और विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन होता है।
- कथा और व्रत: इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो बताती हैं कि इस दिन किए गए दान, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान विशेष फलदायी होते हैं।
यह पर्व भक्तों को अध्यात्म से जोड़ने के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व है। इस दिन को देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है, जो कि दिवाली के 15 दिनों बाद आता है। इस दिन को धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसे पवित्र गंगा स्नान, भक्ति और पूजा-पाठ के लिए भी मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी के अनुयायियों के लिए यह दिन धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत पवित्र होता है।
गुरुद्वारों में कीर्तन और लंगर:
गुरुद्वारों में कीर्तन और लंगर सिख धर्म के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
1. कीर्तन:
गुरुद्वारों में कीर्तन का आयोजन गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज शबदों (भजनों) का गान होता है। यह भक्ति संगीत का एक रूप है, जिसमें राग और सुर के माध्यम से भगवान और गुरु की स्तुति की जाती है। कीर्तन का उद्देश्य भक्तों के मन में आध्यात्मिक शांति और एकता की भावना उत्पन्न करना होता है। कीर्तन के दौरान भक्ति और प्रेम के भाव को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे संगत (समूह) को सामूहिक ध्यान और भक्ति का अनुभव मिलता है।
2. लंगर:
Gurunanak Jayanti 2024: लंगर गुरुद्वारे में परोसे जाने वाले सामूहिक भोजन को कहा जाता है। यह परंपरा गुरु नानक देव जी द्वारा शुरू की गई थी और इसके पीछे का उद्देश्य समानता और सेवा भाव को बढ़ावा देना था। लंगर में किसी भी धर्म, जाति, या सामाजिक स्थिति के लोग एक साथ बैठकर मुफ्त भोजन करते हैं। यह भाईचारे और सेवा की भावना को प्रकट करता है। लंगर को स्वयंसेवक तैयार करते हैं और सभी को बिना किसी भेदभाव के भोजन परोसा जाता है। कीर्तन और लंगर दोनों ही सिख धर्म में सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं और यह दिखाते हैं कि सभी मनुष्य एक समान हैं।
गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में विशेष प्रार्थनाएं, कीर्तन और लंगर का आयोजन किया जाता है। सिख धर्म के अनुयायी इस दिन गुरु नानक जी की शिक्षाओं को याद करते हुए सेवा और सच्ची भक्ति का पालन करते हैं। इस प्रकार, गुरु नानक जयंती का कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाना न केवल उनके जन्मदिन से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा भी है जो उनके द्वारा दिए गए प्रेम, शांति और समानता के संदेश को उजागर करती है।
हम गुरु पर्व क्यों मनाते हैं?
गुरु पर्व (या गुरुपरब) सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे सिख गुरुओं के जन्मदिन या अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की स्मृति में मनाया जाता है। सबसे अधिक प्रसिद्ध गुरु पर्व, गुरु नानक देव जी की जयंती का होता है, जो सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे। इस पर्व का उद्देश्य गुरु नानक देव जी के उपदेशों और शिक्षाओं को याद करना और उनके सिद्धांतों को जीवन में अपनाना है।
गुरु पर्व मनाने के प्रमुख कारण हैं:
- गुरुओं की शिक्षाओं का सम्मान::- यह पर्व सिख गुरुओं द्वारा दिए गए शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को सम्मानित करने का अवसर होता है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक एकता:- सिख समुदाय और अन्य धर्मों के लोग भी इस अवसर पर एकत्रित होते हैं, जिससे समाज में भाईचारे और एकता को बढ़ावा मिलता है।
- सेवा और परोपकार:- इस अवसर पर लंगर (मुफ्त भोजन सेवा) और सेवा के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो सिख धर्म की सेवा भावना को दर्शाते हैं।
- सद्भाव और भक्ति:- गुरुद्वारों में कीर्तन (भजन गायन), धार्मिक प्रवचन और शोभा यात्राएं आयोजित की जाती हैं, जिससे श्रद्धालुओं में भक्ति और आत्मिक शांति का भाव उत्पन्न होता है। गुरु पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि लोगों के बीच प्रेम, सहिष्णुता और समानता के मूल्यों को भी बढ़ावा देता है।
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